केशव लाल/ Keshav Lal

केशव लाल- संगीतकार

गुजरात में जब अकाल पड़ा तो एक गरीब परिवार का नवयुवक गुजरात छोड़कर केरल चला गया ।
      वहां समय गुजरा और शादी हो गई कुछ समय उपरांत एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम केशव रखा गया, जब केशव के मां-बाप का मन केरल में नहीं लगा तो वे श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के एक शहर सिलोन में रहने लगे; उसी समय अचानक जापान और ब्रिटिश का युद्ध छिड़ गया तब केशव के मां-बाप डर गए और केशव को  लेकर चेन्नई आ गए उस समय केशव तकरीबन 8-10 साल के रहे होंगे। केशव के एक बड़े भाई भी थे और तीन बहनें।

काफी समय उन्होंने चेन्नई में गुजारा धीरे धीरे कर के पिता की बदौलत केशव के बड़े भाई तबला तथा केशव की छोटी बहन हारमोनियम बजाने लगीं। समय गुजरता गया धीरे-धीरे एक बहुत बढ़िया संगीत की संगत होने लगी।
        इन लोगों को बजाने के लिए व गाने के लिए बुलाया जाने लगा यह लोग फिर बेंगलुरु, कन्याकुमारी आदि जगह जाने लगे तो 3 साल तक  यही चलता रहा;  तत्पश्चात यह लोग मुंबई आ गए वहां दो बहनों ने लव मैरिज कर ली और बड़ा भाई तबला उठा कर केरल चला गया।
         तब केशव 16-17 साल के रहे होंगे, समय गुजरता गया और  मां-बाप का साया भी उठ गया।
      उस समय केशव बिल्कुल नित्तांत अकेले पड़ गए तब उन्होंने सोचा कि अब मुंबई में अकेले रहना ठीक नहीं है और यह मुंबई छोड़कर नागपुर चले गए।
       वहां पर गले में हारमोनियम टांग कर बजाने लगे और इनकी जिंदगी का सफर शुरू हो गया फिर एक रोज जब यह हारमोनियम बजाते हुए सड़कों पर घूम रहे थे क्योंकि इनकी जीविकोपार्जन  का यही एकमात्र साधन था, तब इन्हें कुछ और लोग ऐसे ही सड़कों पर बजाने वाले मिले और फिर के सब भी उनके साथ शामिल हो गए समय गुजरता गया उस मंडली में एक लड़की भी थी जिसका नाम सोनी था फिर सोनी और केशव काफी समय साथ रहे और उन्हें एक दूसरे से प्रेम हो गया केशव ने भी यह सोचा कि जिंदगी अकेले कटने से अच्छा है कि एक साथ ही मिल जाए तो बेहतर रहे।
       


 फिर केशव ने सोनी से विवाह कर लिया और दोनों साथ में गाते बजाते अन्य शहरों में भी भ्रमण करते रहे तकरीबन 5 साल नागपुर में गुजारने के पश्चात केशव ने अपने भाई से मिलने की सोची और दोनों पति पत्नी केरल चले गए जहां पर इन्होने काफी दिन तक अपने भाई का पता लगाने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे।
              तब केशव हार मान कर वहां से विदा हो लिये है और कन्याकुमारी, मीनाक्षी,मदुरई, रामेश्वरम आदि की यात्राएं करते हुए कुछ समय उपरांत यह पुणे में स्थाई तौर पर रहने लगे, अभी पुणे में ही 35 साल से रह रहे हैं।।


** केशव लाल का जन्म 1936 में हुआ।

**केशव अपने बचपन के बारे में बताते हैं आंखों में पानी आ जाता है- कई रातें तो इन्होंने सिर्फ पानी पी कर गुजारी हैं।

**अपनी हारमोनियम की स्किल के बारे में केशवलाल जी कहते हैं कि पिता जी से ही इन्होने हारमोनियम सीखा।

**कोई भी गाने की धुन को एक बार में ही पकड़ लेते थे और फिर हारमोनियम पर बजा देते थे।

** इनके हाथ हारमोनियम पर ऐसे चलते हैं मानो टाइपराइटर पर किसी का हाथ  चल रहा हो इतना फास्ट बजाने का कारण यह है कि के सब ने बचपन से ही बहुत अभ्यास किया है।

** 82 साल की उम्र में भी इन की उंगलियों में वो जादू है कि आज के युवा इनके जितनी फास्ट हारमोनियम नहीं बजा सकते केशव कहते हैं कि यह सब ईश्वर की कृपा है।

**20 अगस्त 2018 को केशव जी को "इंडियन आइडल" के शो में भी बुलाया गया।

**हर परिस्थिति को इन्होने हंस कर सहा लेकिन कभी किसी से कुछ मांगा नहीं।

#1केशव जब मुंबई की सड़कों पर घूमा करते थे तो ( हास्य व्यंग्य करते हुये )यह कहते हैं कि "वैजयंती माला ने मुझे बर्बाद कर दिया" वैजयंती माला की फिल्म में जब आती थी तो यह दिन भर पैसे कमा कर और फिर फिल्म देखने चले जाते थे।


#2ये जब कल्याण में  रहते थे तो वहां से मुंबई जाते रहते थे फिर एक रोज ऐसे ही रविवार को मुंबई जा रहे थे अंधेरी वेस्ट में से गुजर रहे थे हारमोनियम बजाते हुए वी शांताराम (फेमस इंडियन फिल्मेकर) उन्होंने रोड से गुजरते हुए इनका गाना सुना तब कहा- कि इस लड़के को लेकर आओ नागिन की शूटिंग चल रही थी,       
     वैजयंती माला,प्रदीप कुमार,जीवन वहां मौजूद थे बीन बजाने को कहा तब इन्होंने 3-4 कोरस वहां जाए तब इन्हें वहां काम मिल गया लेकिन इनका तर्क ही है ताकि यह बडे लोगो  का काम है और मैं इस तरह नहीं रहना चाहता कि परिवार पीछे रह जाए और मैं आगे बढ़ जाऊं। इसलिये ये वहां से आ गये।

#3 इनके और इनकी पत्नि के बीच आज इतना ज्यादा प्रेम है कि 
उसको ये जता नहीं सकते, केशव कहते हैं- "हम एक-दूसरे के बिना नहीं जी सकते वो आत्मा है तो मैं शरीर हूं।"

#4 "अगर मैं आज मर गया तो, ये कल मर जायेगी और ये आज मर गयी तो मैं कल मर जाऊंगा।"

(जैसा केशव लाल ने "अजीत मालवीया ललित" को बताया।)

-अजीत मालवीया "ललित"

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