स्कूल लाईफ के अंतिम क्षण
फिर आया अंतिम समय हमारा स्कूल से विदाई लेने का अब हम सभी दोस्त पूरे वर्षो की स्कूल लाइफ की दिलकश यादों से विदा लेने वाले थे,सबके अंतर्मन को एक ही बात कौंध रही थी कि शायद अब यह दिन कभी लौट कर नहीं आएंगे।
स्कूल की मस्ती वो टीचरों की डांट, वह हम दोस्तों के बीच की हुड़दंग, वो केमिस्ट्री लैब में मिश्रा सर के मजे लेना शायद अब कभी नहीं मिलेगी यही बातें मेरे दिमाग में भी बार-बार समंदर की लहरों की तरह हलचल मचा रही थी इन्हीं सब उतार-चढ़ावों के खयालात के साथ वो वक्त आ ही गया जब हमें विदा होने वाले थे
सभी की आंखें एक दूसरे को आशा ही नजरों से देख रही थी और आंखों में कुछ अनसुलझे प्रश्न चिन्ह को स्पष्ट देखा जा सकता था धीरे-धीरे करके सभी लोग विद्यालय प्रांगण में एकत्रित हो गए आंखों में विदाई के आंसू स्पष्ट प्रतिबिंबित हो रहे थे। एक-एक करके हम सभी एक दूसरे से गले मिलने लगे और आंखों में समाहित वह अश्रुओं का बांध एकदम से टूट गया और वह तीव्र गति से अपने पथ पर आगे बढ़ने लगा और फिर बिना रुकावट के वह आगे ही बढ़ता गया।
सभी के चेहरों पर खामोशी थी और जो हम सभी कहना चाहते थे वह सब कुछ हमारी अश्रुओं की धार बयां कर रही थी। क्लास से बंक मारकर क्रिकेट खेलना, टीचर के ना होने पर क्लास को संगीत क्लास बना लेना,हर बात पर एक दूसरे की टांग खींचना स्कूल लाइफ की सारी मस्ती और मानों हमसे एकदम दूर जा रही थी या यूं कहें कि हम सब को बीहडता की ओर धकेल कर कह रही हो कि जाओ अब आगे का सफर तय करो बहुत खेल लिया मेरी गोद में,अब आगे बढ़ो।
हम सभी एक दूसरे से कुछ कह नहीं पा रहे थे हमारे गले अवरुद्ध हो चुके थे, सिर्फ एक दूसरे को हम निहार रहे थे हम सभी एक ही बात एक दूसरे से कहना चाहते थे कि -भूलना मत कभी हमको।।
और शायद जहां तक सभी के जवाब भी एक ही थे - "पागल तुझको क्यों भूलूंगा तू तो मेरी जान है।"
स्कूल लाइफ में कुछ ना कुछ घटनाएं तो ऐसी जरूर हुई होती हैं, जो कि व्यक्ति के मानस पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती हैं और वह उन्हें आजीवन भुला नहीं पाता है।
निष्पक्ष दोस्ती तो मेरे ख्याल से इस स्कूल लाइफ के अलावा फिर कभी नहीं मिल पाती है क्योंकि बगैर असली लड़ाई के असली मारकूट तो स्कूल लाइफ में ही होती है। स्कूल में लगभग पूरी क्लास ही दोस्त होती है वहां कोई दुराभाव नहीं होता और ना ही किसी प्रकार की कट्टरता होती है।
मैं वह श्रेय स्कूल के दोस्तों को ही देना चाहूंगा जो कि बिना पूछे ही अपने दोस्त के मन की भावनाओं को जान लेते हैं और गमों को स्पष्टत: पढ़ लेते हैं यह सब स्कूल में ही संभव है यारों कहीं और नहीं।
कितना हृदयविदारक दिन होता है ना यारों स्कूल से विदाई लेने का और वह भी हमेशा के लिए। हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग मायने होते हैं स्कूल लाइफ और जिन्होंने इसकी वैशिष्ठता को जाना है, उनके लिए तो स्कूल लाइफ बयां कर पाना अत्यंत मुश्किल काम होता है क्योंकि वे तल्लीन हो चुके हैं रम गये होते हैं स्कूल लाईफ में।
इसी उथल- पुथल के बीच हम सब ने टीचर्स के पैर छुए और हम सबकी आंखों के बहते हुए समंदर को देखकर उन्होंने कहा- "बेटा अब आगे की भी अच्छे से पढ़ाई करना" और हम सब उनके गले से लिपट गए और फूट-फूट कर रोने लगे और अंत में सभी ने एक फोटो खिंचाई जो कि आज भी है और हमेशा ही हमारे दिल के बहुत करीब रहेगी क्योंकि पूरा सार है वह हमारे विद्यालयीन जीवन का।
-अजीत मालवीया'ललित'
३०/१०/२०१६
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Wow
ReplyDeleteSchool ki Yd dila Di. . . Jaan
Kya Din the wo yAar. . . .
Mis ds Day. . .
Tnq so much jaan
Deleteek blog or hai school life wala check kar😉