अल्फाज
अजीत मालवीया'ललित'
जब खाक होगा यह तन,
तब श्मशान में कुछ चेहरे,
रू-ब-रू होने जरुर आएंगे।
मेरे दोस्त आए ना आए,
लेकिन दुश्मन जरुर आएंगे।
जिससे मुझे प्यार है,
वह आए ना आए,
लेकिन मेरे दर्द को,
महसूस करने वाली,
ऋतु जरूर आएगी।
मेरी माँ आए ना आए,
लेकिन काकी जरूर आएगी।
झूठा प्यार करने वाले,
आए ना आए लेकिन,
स्नेह से सिंचित करने वाले,
गुरु जरुर आएंगे।
छोटी नदियां आए न आए,
बड़े समंदर जरुर आएंगे।
मुझे हंसाने वाले बाशिंदे आए,
ना आएं मुझे रुलाने वाले,
आलोचक जरुर आएंगें।
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