एक सुखद अंत.....(स्कूल लाईफ पर आधारित)

एक सुखद अंत....( स्कूल लाईफ पर आधारित )


                कल मेरी कक्षा बारहवीं की परीक्षा समाप्त हो गई आज मन में एक शांत नदी अपने पूर्ण आवेग से बह रही है, मन पुरानी संवेदनाओं को उकेर रहा है ।
                 मेरी अवचेतन शक्ति पुरानी आकांक्षाओं की ओर अभिशिप्त हो रही है। अप्रतिम मित्रों की यादें मेरा हृदय विदीर्ण कर रही हैं यही सोच सोच कर मन व्याकुल हो रहा है कि अब वह पुराने मित्र और उनकी यादें कहीं भाव विहीन पत्थर की तरह कुटिल ना हो जाएं।
               मुझे तो जीवन हो गया मित्रों की यादों को गुलाब की पंखुड़ियों की तरह सुर्ख बनाए रखने में उनकी तरह कोमल बनाए रखने में इन यादों को गन्ने के रस की तरह मीठा बनाए रखने में।             
               अब वह स्कूल की मस्त-मस्त जिंदगी समाप्त होने जा रही है वह पुराने मित्र, वह पुराने शिक्षक वह  स्कूल की बिल्डिंग वो स्कूल के झाड़, स्कूल की धमाचौकड़ी स्कूल की प्यारी सी क्लास, वो प्रयोगशाला जिसमें कि हमने बहुत मस्ती की है अब दोबारा मुझे ना मिलेगी कहना ना होगा कि अब मजिंदगी की मोटी सी किताब का एक अध्याय समाप्त हो गया है।
        जब मैंने इस विद्यालय में दाखिला लिया था आज से चार वर्ष पूर्व तब मन में कुछ और था।
         हर पल कुछ ना कुछ जानने की एक  प्रबल इच्छा इस मन में बचपन से ही थी। जब छोटे थे तो दोस्ती के मायने जीवन के लिए कुछ और होते थे जैसे जैसे उम्र गई दोस्तों के मायने भी बदलते गए और आज जिस मोड़ पर मैं हूं वहां दोस्ती के मायने जिंदगी के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के मायने दोस्ती के लिए हैं।   
       पता नहीं समय कहां से कहां चला जाता है जो कभी सिर्फ दोस्त हुआ करते थे वह आज जिंदगी बन गए हैं।
              आज से पांच छह माह पूर्व की एक घटना है मेरा प्रगाढ़ मित्र मुझसे किसी बात से नाराज हो गया था उस दिन मुझे इस बात का एहसास हुआ था कि जिंदगी में एक अच्छे मित्र की क्या अहमियत होती है। उस पूरे दिन  मैं एक निस्तब्ध पेड़ की तरह  पूरे दिन शांत और छाया विहीन रहा मेरे जीवन के अमूल्य धरोहर मेरे मित्र ही हैं।
              कह दुश्वार ना होगा कि अच्छे मित्र जिंदगी की सफलता के  द्धोतक होते हैं,. उनकी संवेदनाएं, उनका परिपक्व मित्रता रूपी साथ सफलताओं के और जीवन के यथार्थ मार्मिकता की ओर मुखरित होता है । वह मित्र ही है जो हमें आगे बढ़ने में हर संभव मदद करते हैं और अपने कष्ट को खुदका समझते हैं जीवन में कई मोड़ ऐसे भी आते हैं जब कुछ लोग हम से विमुख हो जाते हैं पर वह मित्र ही हैं जो हमें आगे बढ़ने का हौसला देते हैं, और बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। एक सच्चे मित्र की जगह कोई नहीं ले सकता है।
     मित्र ही हैं जो कुंठित और क्षुब्ध कायाकल्प को सुधार कर कुछ करने योग्य बनाते हैं।
    जब हम जिंदगी के थपेड़े खा खा कर लहूलुहान हो जाते हैं और स्वयं की अंतरंगता से विमुख हो जाते हैं, हमारे हाथ जिंदगी की कठिनाइयों को झेलते-झेलते थक जाते हैं और हमारा विरक्त मन जब सालता  की ओर मुखरित हो जाता है तब  मित्रों की मीठी और सुरीली यादों के झरोखे अत्यंत शांति का अनुभव कराते हैं, और इन सब से उभरने में सहायता प्रदान करते हैं।
           जब मैं स्कूल लाइफ से विदा होने पर अत्यंत दुखी भाव से गुजर रहा था, तभी एक बुजुर्ग ने कहा- क्यों परेशान हो बेटा? मैंने कहा - दादा जी अब मेरी लाइफ खत्म होने जा रही है इसका मुझे बहुत दुख हो रहा है अब स्कूल की मस्तियां मुझे दोबारा नहीं मिलेगी तब उन्होंने समझाते हुए कहा - बेटा एक सांस छोड़ोगे नहीं तो दूसरी कैसे लोगे?
      (जैसे उनकी बात मेरे अंतस तक गहरा प्रभाव छोड़ गई) उन्होंने आगे कहा- और जो तुम्हारे अच्छे मित्र होंगे वह तुम्हें हमेशा याद रखेंगे चाहे वह कहीं भी हों।
     दादाजी की बात सुनकर दिल को ठंडक मिली और मुझे प्रसन्नता हुई। जिस दौर से मैं गुजरा हूं साधारणतया सभी गुजरते होंगे और शायद कि मेरी तरह परेशान भी होते होंगे स्कूल के   
      अंतिम दिन की ही दोस्त कहते हैं कि- क्यों स्कूल के बाद भूल तो नहीं जाएगा?
    मैं कहता हूं -तुझे कैसे भूल सकता हूं पागल तू तो मेरी जान है और दोनों चिपक कर रो पड़ते हैं। कुछ इसी तरह की होती है स्कूल लाइफ यारों। निश्चित ही आपने और हमने उसको जिया है और खुश नसीब है कि आज अच्छे दोस्त हमारे पास है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
-अजीत मालवीया 'ललित'
१०/०४/२०१८

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