।।फिल्में देखने वाले जरूर पढें।।

फिल्में देखने वाले जरूर पढें
Ajeet Malviya Lalit


आधुनिक फिल्मों ने जो लोगों की मानसिकता को पंगु बनाने का कार्य किया है और जिससे कि लोग वाकई मानसिक तौर पर पंगु हुए हैं, वह वाकई अद्भुत कार्य हुआ है।
        नई युवा पीढ़ी जो कि जमाने की बिल्कुल अंधी दौड़ में आगे बढ़ती जा रही है। ठीक उसी प्रकार की जिस प्रकार यदि कोई स्वच्छ नदी प्रवाहित हो रही है यदि उसमें नाले का पानी भी मिला दिया जाए या कचरा डाल दिया जाए तो वह अस्वच्छ हो जाती है, लेकिन प्रवाहित होती रहती है ठीक इसी तरह का कार्य हमारी आज की युवा पीढ़ी की मानसिकता के साथ भी हो रहा है।
        जिससे कि मानसिक स्थिति बहुत दूषित हो रही है हमारी भारतीय हिंदी फिल्मों में तो और भी अद्भुत-अद्भुत काम हो रखे हैं।
           किंतु अफसोस कि इस बेवकूफी में ना पड़ने की बजाए हमारी युवा पीढ़ी उसमें ही आनंद खोज रही है  जिसका कि कभी यथार्थ चित्रण हो ही नहीं सकता ।
          कुछ नमूने मैं पेश करता हूं भारतीय हिंदी फिल्मों के- जैसे कि कार का हवा में उड़ जाना या फिर अभिनेता (जिसे आम भाषा में मंदबुद्धि लोग हीरो कहते हैं) का हवा में छलांग मारकर दुश्मनों को मारना वह भी कई कई फीट उडकर यह कुछ उदाहरण है फिल्मों की मानसिकता के और पढ़े लिखे लोगों के पसंद करने के तरीकों के यह जानते हुए भी कि यह वास्तविकता में कभी संभव ही नहीं है,लेकिन फिर भी हमारी अल्पबुद्धि की एजुकेटेड पीढ़ी बकायदा फिल्में देखने जाती है और पैसा खर्च करती है फिल्म तो करोड़ों कमा लेती है और बॉक्स ऑफिस पर छा जाती है और हमारी युवा पीढ़ी को लगता है कि किसी महान कार्य को कर रहे  है और वह स्वयं पर गर्व महसूस करती है।
     
           लेकिन इसकी वास्तविकता का आकलन किया जाए तो सिवाय मूर्खता के और अल्प बुद्धि के परिपक्वता का प्रमाण इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता।
        यदि फिल्में देखना ही है तो किसी के जीवन पर आधारित फिल्मों को देखिए जिसमें की कोई लाग लपेट नहीं हो वरन एक उपयुक्त सीख मिलती है, और यदि तुम ने ठान ही लिया है कि हमें तो ऐसी जुमलेबाज फिल्में ही देखना है तो तुम्हें कोई रोक नहीं सकता और तुम्हारा जो समय नष्ट हो रहा है उसे कोई बचा नहीं सकता ।
      जो तुम्हारे मस्तिष्क का कार्य था सोचना उसे इन फिल्मों के जरिए पूर्णता विकलांग बना दिया गया जिसका अब अपनी गतिशील पटरी पर लौट पाना बहुत मुश्किल है।
अंदर झांको की क्या देख रहे हो.... जागो! जागो!जागो!
अजीत मालवीया'ललित'
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