रो पडोगे तुम!
देखोगे जब बंद मेरी आंखें,
फिर पढ़ोगे मेरी डायरी,
तो रो पड़ोगे तुम!
मेरी कुछ तस्वीरें जो जीवंत रहेंगी,
चेहरा मुस्कुराता हुआ देखकर,
फिर रो पड़ोगे तुम!
तुम्हारे साथ बिताए मस्ती भरे लम्हे,
कैद होंगे मेरी मुट्ठी में,
खुलेगी जब मुट्ठी,
तो फिर रो पड़ोगे तुम!
बैठता था तुम्हारे पास हंसता था,
हंसाता था; देख मेरी शांत अवस्था
फिर रो पड़ोगे तुम!
मेरी कुछ शरारतें,
कसक दिल की तुम्हारी;
सब छोड़ जाऊंगा,
जब उसे निहारोगे तो,
फिर रो पड़ोगे तुम!
फिर देर किस बात की?
आओ बैठो मेरे संग करो गपशप,
नहीं तो मेरे जाने के बाद,
फिर रो पड़ोगे तुम!
~अजीत मालवीया "ललित"
देखोगे जब बंद मेरी आंखें,
फिर पढ़ोगे मेरी डायरी,
तो रो पड़ोगे तुम!
मेरी कुछ तस्वीरें जो जीवंत रहेंगी,
चेहरा मुस्कुराता हुआ देखकर,
फिर रो पड़ोगे तुम!
तुम्हारे साथ बिताए मस्ती भरे लम्हे,
कैद होंगे मेरी मुट्ठी में,
खुलेगी जब मुट्ठी,
तो फिर रो पड़ोगे तुम!
बैठता था तुम्हारे पास हंसता था,
हंसाता था; देख मेरी शांत अवस्था
फिर रो पड़ोगे तुम!
मेरी कुछ शरारतें,
कसक दिल की तुम्हारी;
सब छोड़ जाऊंगा,
जब उसे निहारोगे तो,
फिर रो पड़ोगे तुम!
फिर देर किस बात की?
आओ बैठो मेरे संग करो गपशप,
नहीं तो मेरे जाने के बाद,
फिर रो पड़ोगे तुम!
~अजीत मालवीया "ललित"
Kya kahu is kavita ke bare me,bas itna hi iski kabile tareef me ki yah ajit ne likhi hai."SUPER"
ReplyDeleteBahut hi achche bhai Ajeet..
ReplyDeleteKeep it up, u r on right way
Super bhai
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